रमणरेती(गोकुल)


                       रमणरेती(गोकुल)मथुरा
मेरे प्रिय मित्रों, आज मैं अपने कुछ अनुभव तथा एक महत्वपूर्ण जानकारी आपके साथ साझा करना चाहता हूं,  जो की रमणरेती से संबंधित है| जी हां मित्रों आपने सही समझा, हमारा आज का विषय रमणरेती है| जो कि मथुरा के गोकुुल में स्थित है| रमणरेती मथुरा और महावन के बीच पड़ता है| जो कि एक बहुत ही पवित्र स्थान है| रमणरेती में रेत ही रेेत है| ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण नेेेेेेे अपने बाल रूप में यहां अनेकों बाल लीलाएं की थी| रमणरेती की पावन भूमि पर भगवान श्री कृष्ण ने अपने ग्वाल वालों के साथ गाय चराई थी| तथा इसी पवित्र मिट्टी में रमणे थे| यानी कि पवित्र मिट्टी में लौट लगाई थी| यहां पर अनेक भक्तों की भीड़ उमड़ती देखी जा सकती  है| ऐसा माना जाता है कि इस पवित्र भूमि पर लौटने से अनेकों बीमारियां खत्म हो जाती हैं| अनेक स्कूलों के बच्चे भी यहां भ्रमण करने के लिए आते हैं|



यहां पर भक्तजन मिट्टी से घर बनाते हैं| जिससे उनकी घर बनाने की मुरादें पूरी हो जाती हैं| इस पावन रेत पर कोई भी कंकड़ या पत्थर नहीं है जिससे इस रेत पर नंगे पैर चलना बहुत अच्छा तथा सुगम लगता है | इस रेत को बहुत ही पूजनीय माना जाता है|भक्तजन इस रेत को अपने साथ ले जाते हैं|

 इस स्थान पर श्री कृष्ण के चरण रज की अनुभूति होती है| इस बात में कोई भी संशय नहीं है की ब्रज मंडल की पावन भूमि श्री कृष्ण के चरणों से पावन है| एक बार यहां पर एक सिद्ध संत आत्मानंद गिरि आए थे, ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने सिद्ध संत श्री आत्मानंद गिरि को साक्षात दर्शन दिए थे|इसलिए  यह स्थान एक सिद्ध स्थान माना जाता है| जब भक्तजन रमणरेती की पावन रेत को अपने माथेेे पर लगाते है, तो ऐसी अनुभूति करते हैं, जैसे कि श्री कृष्ण के चरण रज को अपने माथे पर लगाया हो| दुनिया भर से भक्तजन यहां आते हैं तथा अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-पुन  भी करते है | एक हाथी के द्वारा यहां पर आरती की जाती है| जो कि देखने योग्य है तथा भक्तजनों के मन को मोहने वाली है| रमणरेती में अनेक पशु पक्षी भी है जोकि भक्तजनों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं|

 हाथी के द्वारा बहुत ही सुंदर तरीके से नृत्य करते हुए राधा कृष्ण जी की आरती की जाती है तथा माखन मिश्री का भोग लगाया जाता है यह प्रभु जी की आरती तथा श्रंगार बहुत ही मन मोहने वाला होता है जोकि भक्तजनों को अपनी ओर आकर्षित करता है यहां पर एक रमण सरोवर भी है यहां पर जो भी भक्त जन आते हैं इस पवित्र सरोवर में स्नान अवश्य करते हैं यह सरोवर एक अमृत सरोवर है इस सरोवर में मछलियां भी हैं, मछलियों को खिलाने के लिए वहां पर आटा भी मिलता है, जिससे आप मछलियों को छोटी-छोटी आटे की गोलियां बनाकर प्रभु राधा कृष्ण जी का नाम लेकर खिला भी सकते हैं जिससे आपको कई गुना पुण्य मिलता है| रमणरेती में ब्रज मंडल के सभी तोहार जैसे कि जन्माष्टमी, राधाष्टमी, एकादशी,  आदि काफी हर्षोल्लास से और विधि-विधान से बनाए जाते हैं| यहां पर एक गुरुकुल भी है,

रमणरेती में हिरण, बारहसिंघा, एमू,  हाथी, खरगोश आदि पशु पछी पाए जाते हैं, रमणरेती में तीर्थयात्रियों की रुकने तथा भोजन की उत्तम व्यवस्था है| यहां आस-पास कई होटल तथा  धर्मशालाएं भी हैं, अगर आप ब्रजमंडल के रमणरेती में आते हैं, तो आपको काफी अच्छी एक अनुभूति होगी, तथा आपकी हर एक मुराद भी पूरी होगी|( राधे-कृष्णा)
                                                               धन्यवाद!

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