प्रेम मंदिर(वृन्दावन)


                     प्रेम मंदिर(वृन्दावन)

दोस्तों आज में अपने कुछ अनुभव और प्रेम मंदिर की कुछ जानकारी जो की वृन्दावन मे स्थित है |आप के साथ साझा करना  चाहता हूं|प्रेम मंदिर का निर्माण जनवरी 2001 मे शुरु हुआ, और इसका उद्धघाटन समारोह 15  फरवरी से 17  फरवरी 2012 तक चला|17 फरवरी को मंदिर सभी भक्तों के लिए सार्वजनिक रूप से खोल दिया गया| जिससे भक्तजन आकर अपनी डोर परमात्मा से लगा सकें| इस मंदिर की देखरेख जगत गुरु कृपालु महाराज जो की एक इंटरनेशनल नॉनप्रॉफिट अध्यात्मिक चैरिटेबल ट्रस्ट है| इस मंदिर में राधा कृष्ण सीताराम और प्रभु कृपालुजी महाराज की मन मोहने वाली छवि दिखाई गई हैं जोकि भक्तजनों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं| इस मंदिर के निर्माण से वृंदावन में भी चांद चांद लग गए हैं| यह मंदिर इतना सुंदर और मन मोहने वाला बनाया गया है कि मेरे पास इस मंदिर को बयान करने के लिए शब्द कम है| इस मंदिर को देखने और दर्शन के लिए लोग-वाग  दूर-दूर से आते हैं| विदेशियों का सैलाब भी यहां बहुत रहता है जो कि कभी भी देखने को मिल सकता है| मंदिर में एक सत्संग भवन का निर्माण भी किया गया है| जिसमें एक समय में लगभग 25000 लोग बैठ सकते है | जिससे आप स्वयं विचार कर सकते हैं कि सत्संग भवन कितना बड़ा और विशाल है| प्रेम मंदिर में श्री कृष्ण की चार लीलाओं का चित्रण किया गया है जिस में झूलन लीला,  गोवर्धन लीला, रासलीला और कालिया नाग लीला मुख्य हैं| मंदिर मैं पार्किंग और भोजनालय की भी व्यवस्था की गई है| जब आप मंदिर में दर्शन के लिए जाएंगे, तो ऐसा प्रतीत होता है कि वहां पर कृपालुजी महाराज तथा राधा कृष्ण जी का जो चित्रण है वह चित्र या मूर्ति नहीं है वह हकीकत है| प्रभु का चित्रण बहुत अधिक मन मोहने वाला है| प्रेम मंदिर के निर्माण में इटालियन संगमरमर का प्रयोग किया गया है| प्रेम मंदिर दिल्ली आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच 2 पर छटीकरा से लगभग 3 किलोमीटर दूरी पर वेदांत मार्ग पर वृंदावन में स्थित है| प्रेम मंदिर लगभग 54 एकड़ में फैला हुआ है| मंदिर में कुल 94 स्तंभ हैं, जो की  राधा कृष्ण जी की विभिन्न लीलाओं को दर्शाते हैं| प्रेम मंदिर में गोवर्धन पर्वत की भी एक सजीव झांकी बनाई गई है| प्रेम मंदिर का फब्बारा तथा संगीत भक्तजनों को अपनी ओर आकर्षित करता है|फब्बारे मे पानी का एक बहुत सुन्दर पर्दा बनता है, जिस पर राधा-कृष्णा तथा कृपालु जी महाराज के भजन चलते है |जिस को देखने के लिए बहुत भक्तजनो की भीड़ उमड़ ती है|
पूरा मंदिर रंग-विरंगी रोशनी मे झिलमिलाता है|मंदिर को देखने का नज़ारा तो शाम का ही है| कृपालुजी महाराज का एक भजन" प्यारी प्यारी भोली भाली बरसाने वाली....." भक्तजनों को बहुत भाता है|
अगर आप वृंदावन में प्रवेश करेंगे तो केवल राधा कृष्ण जी की ही गूंज पाएंगे| आपको यहां आने पर ऐसा प्रतीत होगा कि आप बैकुंठ धाम में श्री कृष्ण भगवान के साथ है| प्रेम मंदिर की हर एक चीज मन मोहने वाली है
 प्रेम मंदिर को देखने के लिए दुनिया भर से भक्तजन तथा तीर्थ यात्रीयों  का आगमन होता रहता है| मंदिर की ऊंचाई लगभग 125 फुट है| मंदिर में राधा अष्टमी तथा जन्माष्टमी का पावन त्यौहार काफी उल्लास से मनाया जाता है| इस मंदिर का असली श्रेय श्री कृपालु जी महाराज को ही जाता है|
 मंदिर खुलने का समय प्रातः 8:30am से शाम 12:00 noon बजे तक का है|तथा शाम को 4:30 pmसे 8:30pm बजे तक का है|
 अगर आप वृंदावन आने का प्रोग्राम बनाएं तो प्रेम मंदिर में अवश्य भ्रमण करें तथा राधा कृष्ण भगवान के दर्शन करें जिससे आपका हृदय पुलकित होगा तथा आपको ऐसा प्रतीत होगा जैसे कि आप साक्षात ईश्वर राधा कृष्ण जी के दर्शन कर रहे हैं|मंदिर या किसी भी  धार्मिक स्थान पर कोई भी व्यक्ति चाहे वह किसी भी जाति या धर्म का हो दर्शन के लिए जा सकता है। आशा करता हूं कि आपको मेरी बताई गई जानकारी काफी अच्छी लगी होगी|

समय सारणी..........

 ग्रीष्म काल में....... प्रातः काल 8:30 से दोपहर 12:00 बजे तक तथा संध्याकाल में 4:30 से रात्रि 8:30 तक
 शीतकाल में......... प्रातः काल 8:30 से दोपहर 12:00 बजे तक तथा संध्याकाल में 4:30 से रात्रि 8:30 तक
                  धन्यवाद|

Comments

Popular posts from this blog

माँ चंद्रावली मथुरा

दुर्भासा ऋषि

रमणरेती(गोकुल)